वैसे ये एक आम वाक्य है जो हम हमारे जीवन में काफी उपयोग करते हैं, या कम से कम सुनते तो हैं ही. पर आइये आज समझने की कोशिश करें की ऐसा क्यूँ है.
शायद पैसा और पहुंच (power, reach) के बाद अगर आज लोगों में किसी चीज का अहम है तो वह शिक्षा या जानकारी का ही है. वैसे तो यह दौर सूचना और प्रौद्योगिकी यानि की इन्फॉर्मेशन टेक्नोलॉजी का है, जिसमें ऐसी कोई जानकारी जो आप चाहो और ना मिले संभव नहीं है. फिर भी हमारी बुद्धि और स्मरण तो सीमित है ना. हो सकता है कुछ बातें जो आपको पता भी हो पर मुश्किल के समय शायद ध्यान ना आये. अगर कोई आपको याद दिला दें, यह बताना चाहें तो आपको उनका धन्यवाद कर देना चाहिए, नहीं भी करें तो कम से कम सभ्यता की सीमा में रहकर कुछ उचित जवाब दे दे.
परन्तु ऐसा होता नहीं है. हमें अपनी जानकारी का अहम् शायद इतना ज्यादा है कि अगर कोई हमें एक बार को टोक दे, या याद दिला दे, या बस औपचारिकता में यूँही पूछ भी ले तो हमें शायद यही लगेगा कि वो मुझे नीचा दिखा रहा है, क्या इसे यह लगता है कि मुझे यह सब नहीं पता, अरे ! इसकी क्या औकात जो मुझे कम जाने, जबकि सारी दुनिया मेरे ही चारों ओर तो घूम रही है.
अरे भाई, कोई आपको छोटा नहीं बना रहा. यह तो आपकी निजी असुरक्षा है जो समय समय पर अहम् में बदल जाती है. आपको यह अनुभव होगा कि आपको काफी लोगों से ज्यादा जानकारी है और उनमें से काफी आप से बड़े बुजुर्ग भी होंगे, पर जिस दिन आपने इस बात को मन से स्वीकार कर लिया कि यहां ऐसे भी बहुत से लोग हैं जो आपसे बहुत ज्यादा जानकारी रखते हैं और उनमें से कई तो आपसे उम्र में काफी छोटे भी हो सकते हैं, उस दिन से इस बात का अहम् कभी आपके मन में नहीं आएगा.
क्योंकि आसान शब्दों में बात यह है कि कोई भी पीढ़ी शून्य से शुरुआत नहीं करती है , बल्कि वहां से करती है जहां से उसके पिछली पीढ़ी ने समाप्त किया. और इस नाते से भी आपका किसी शिक्षाया जानकारी पर घमंड जायज नहीं हैं, क्योंकि पिछली पीढ़ी के उस ज्ञान का ऋण भी आपके ऊपर है.
अब जरा ये वीडियो देखिये
इन बहन जी को देखें कि किस तरह एक मास्क के बारे में टोकने पर उन्हें अपनी शिक्षा की दुहाई देने पड़ गई. जी हम समझ गए आप एडुकेटेड हैं, पर अगर आपको ऐसा बोलना पड़ रहा है, तो फिर आपको इस बात का एहसास होना चाहिए की गलती आप ही की है. अगर आपके पास कोई गुण या विधा है तो वो आपके आचरण से प्रतीत होनी चाहिए। अगर नहीं, तो ये सब व्यर्थ रहा. शायद आपको अपनी प्राथमिक शिक्षा फिर से लेनी चाहिए, खास तोर पर सामाजिक और व्यावहारिक. क्यूंकि संभवतः उस सुरक्षाकर्मी को इस बात का कमिशन नहीं मिलता की उसने कितने लोगो को मास्क के लिए टोका। उसकी पगार तो फिक्स है. वह तो सिर्फ अपनी जिम्मेदारी समझ के आपको, आप ही की सुरक्षा के लिए याद दिला रहा है। बाकि आपकी मर्ज़ी, आखिर आप तो एडुकेटेड हैं न.
Haha…aap pade likhe logo ko mat sikhaiye.
Vaise ye bahan ji padhi to bahut hongi par apni padhai bhool chuki hai, inhe to ye bhi nahi pata ke logo se baat kis tarah ki jaati hai
“Sahi kaha wo kaisa shikshit vyati, jise batana pade ki main shikshit hoon”.