कभी गलत राह पर चलना काफी सुकून देता है
शुरू में ना यह पता होता है कि रास्ते पर कोई मोड़ है या नहीं
और ना ही यह पता होता है कि हमें कहां तक चलते जाना है
इतना ही पता है कि बस चलते जाना है तब तक
जब तक उस चकाचौंध से मन भर न जाए
ऐसा तो नहीं है कि वापस आना मुमकिन नहीं
पर वापसी में हाथ आता है एक अफसोस
जितना लंबा सफर तय किया अफसोस भी उतना गहरा
जाहिर है जब गलत रास्ता है तो कोई सही रास्ता भी होगा
और होगा तो मुश्किल भी होगा, इसलिए यह जानते हुए कि
वह रास्ता एक बंद गलियारे में समाप्त होता है वह बस चलते जाता है
मुश्किल की असली घड़ी वही होती है
जब आपको पता हो कि सही क्या है और गलत क्या है
जीत कहां पक्की है और हार कहां सुनिश्चित है
तो अब यह देखने लायक होगा कि वह किस रास्ते को चुनता है
समझौते वाली खुशी या फिर असफल प्रयास की संतुष्टि